तुम्हारे कदम... धीरज रखकर चलते है जो पावस बनकर ढलते है जो एक दिशा को सम्मुख रख चिर-निरंतर बढ़ते है जो धुप-छाव में हसते है जो है अडिग, पर आस्ते है जो आसमान छूने की चाहत के संग सदा जमीनपर बसते है जो चलते हुए न थकते है जो पीछे मुड़कर न देखते है जो अपनी धुन मै मस्त हो कर दुनिया मुठ्ठी मै रखते है जो - हर्षल कंसारा
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आशा.....
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आशा..... एक ऐसी चीज, जो कुछ न होने पर भी बहुत कुछ दिलाती है यद्यपि बहुत कुछ होते हुए, इसी की कमी से जिंदगी रूठ सी जाती है इसके होने से जिंदगी में हरियाली होती है छायी अभाव से इसके, उखड़ी उखड़ी लगे जीवन की परछाईं संग हो इसके, तो हर पल लगे सुनहरा जिससे जीवन को अर्थ मिल पाये गहरा कभी कभी मैं सोचता हु.... शायद यह न होती, तो जिंदगी का कल न होता कितनी सारी खुशियों से, मेरा कभी मेल न होता मेरा होना भी इस के होने से बन रहा है बाकी तो सब मिथ्याभिमान तन रहा है - हर्षल (On Mumbai-Pune Express way)